मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

सांप्रदायिक उन्माद

Image result for image of roitesअरे मारो उसे....!              आहहह...!!!
पकड़ो..! काट डालो..!!!
...लो बचने न पाये...!
जलाओ उसे .!!
फ़र्क़  क्या पड़ता है?
छोड़ो ! 

कौन......?  
....... जी
रिश्ते गिनने लग गये.....!
तो हो गयी
ख़ून-ख़राबे  की होली..
यह है कड़वा
मगर आज का अकाट्य सत्य
सत्य जो दिखता है
सत्य जो रुलाता है
सत्य जो पूछता है
कहां खड़े हो आज तुम
इतना गुस्सा
इतना स्वार्थ
कि अपनी आत्मतुष्टि के लिए 
हथियार उठाए
अपनी ही गली में
लाल रंग फैलाते हो
और नालियों में 
लहू बहाते हो 
और करते हो
अट्टहास!!
लो ले लिया पूरा बदला
मुझे देश-दुनिया से क्या
मैं जीता हूँ
अपने धर्म  और समाज के नाम पर
ख़ून  बहे तो बहे
लोगों के  घर जले तो क्या
मैं नहीं झुकनेवाला
देश जल रहा है
गलियों में
चौराहों पर
धर्म के नाम पर कत्लेआम
हो रहे हैं
भाई...अब तो डर लगता है
इंसान  होने से
डर लगता है अपनी
ज़ात बताने से
न जाने कौन  कब  कहां
बैठा हो अंधभक्ति के साथ
और काट दे मेरा गला
आज तक क्या पाया 
और खोया क्या-क्या
तुमने ...हमने.....???
# अनीता लागुरी ( अनु )

चित्र साभार : गूगल 

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